
अररिया – बिहार सरकार द्वारा भूमि माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के दावों के बीच अररिया जिले के निबंधन कार्यालय से एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसने पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम में
वर्षों से मूल अभिलेखों के साथ छेड़छाड़ कर उन्हें गायब किया जा रहा है और उनकी जगह कूटकृत दस्तावेज तैयार कर रजिस्टर में चिपकाए जा रहे हैं। इन्हीं फर्जी कागजातों के आधार पर निजी जमीनों की अवैध रजिस्ट्री
कर उन्हें हड़पने का संगठित खेल चल रहा है। हैरानी की बात यह है कि निबंधन कार्यालय में सुरक्षा व्यवस्था लगभग नदारद है। कोई भी व्यक्ति बिना किसी रोक-टोक के रिकॉर्ड रूम तक पहुंच सकता है। कार्यालय के एक
कातिब ने बताया कि भूमि माफिया का सिंडिकेट परिसर के आसपास मौजूद रहता है और जैसे ही फर्जी कागजात तैयार हो जाते हैं, उसी आधार पर रजिस्ट्री कराई जाती है। मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग की ओर से नगर थाना में रजिस्ट्री ऑफिस के दो कर्मियों समेत कुल 10
लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। हालांकि प्राथमिकी दर्ज होने के दो दिन बीत जाने के बावजूद अब तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है, जिससे प्रशासनिक निष्क्रियता के आरोप लगने लगे हैं। जिला अवर निबंधक पदाधिकारी कौशल कुमार झा ने बताया कि भूमि माफियाओं की पहुंच केवल
अररिया तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य जिलों में भी इसी तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। वहीं अररिया के पुलिस अधीक्षक अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि मामले की जांच जारी है और साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।




