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सदर अस्पताल में लापरवाही की हद, एम्बुलेंस नहीं मिलने से परिजनों ने कंधे और स्ट्रेचर पर ढोया शव।

सहरसा

सहरसा – सदर अस्पताल सहरसा में स्वास्थ्य व्यवस्था की बड़ी लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। एम्बुलेंस उपलब्ध न होने के चलते दो अलग-अलग मामलों में मृतकों के परिजनों को शव खुद उठाकर पोस्टमॉर्टम हाउस तक ले जाना पड़ा। घटना के बाद परिजनों में आक्रोश है और उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पहला मामला पतरघट थाना क्षेत्र के छोटे लाल यादव का है। परिजनों ने बताया कि अस्पताल पहुंचने के बाद उन्हें एम्बुलेंस देने से साफ मना कर दिया गया। मजबूरन परिजनों ने करीब 600 मीटर तक शव को कंधे पर उठाकर पोस्टमॉर्टम कक्ष तक पहुंचाया। परिजनों का कहना है कि ऐसे समय पर अस्पताल प्रशासन की यह उदासीनता बेहद अमानवीय है। दूसरी घटना में बिहार पुलिस के हवलदार राजेंद्र प्रसाद सिंह का शव सहरसा रेलवे स्टेशन पर मिला था। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल लाया गया, लेकिन यहां भी एम्बुलेंस चालक की अनुपस्थिति का हवाला देकर वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया। इसके बाद परिजन और पुलिसकर्मी स्ट्रेचर पर शव को खींचते हुए पोस्टमॉर्टम हाउस तक ले गए।परिजनों ने इसे स्वास्थ्य विभाग की “चरम लापरवाही” बताते हुए कड़ी नाराज़गी व्यक्त की है। उनका कहना है कि यह व्यवस्था आम जनता ही नहीं, सरकारी कर्मचारियों तक के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा कर रही है। अस्पताल प्रशासन की ओर से सफ़ाई देते हुए कहा गया कि एम्बुलेंस की सुविधा डायल-102 सिस्टम के माध्यम से ही उपलब्ध होती है, और घटनाक्रम के समय वाहन व चालक उपलब्ध नहीं थे। हालांकि, लगातार सामने आ रही ऐसी घटनाओं ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों और स्थानीय लोगों ने सरकार से एम्बुलेंस सेवा को दुरुस्त करने, अस्पताल में पर्याप्त वाहनों और चालकों की तैनाती सुनिश्चित करने की मांग की है।

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