तीन दिवसीय लखीसराय फिल्म महोत्सव का भव्य समापन। बाल विवाह रोकथाम के लिए सामूहिक शपथ।
लखीसराय

लखीसराय – लखीसराय जिला प्रशासन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय लखीसराय फिल्म महोत्सव 2025 का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ। महोत्सव के अंतिम दिन भी लोगों की बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज की गई तथा विभिन्न कार्यक्रमों और फिल्मों के माध्यम से
सामाजिक जागरूकता व सांस्कृतिक संवाद को नई दिशा मिली। सुबह के सत्र में लखीसराय संग्रहालय के प्रेक्षागृह में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी, आईसीडीएस सह नोडल पदाधिकारी, मिशन शक्ति श्रीमती बंदना पांडेय के नेतृत्व में प्रतिभागियों को बाल विवाह रोकथाम की सामूहिक शपथ दिलाई गई। महोत्सव के दौरान बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति के दुष्परिणामों पर आधारित प्रेरणादायक फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। श्रीमती पांडेय ने कहा कि—“बाल विवाह न केवल बच्चों के अधिकारों का हनन है बल्कि समाज के संतुलित विकास में एक बड़ी बाधा भी है। इसके उन्मूलन के लिए समाज के हर वर्ग को जागरूक और सक्रिय होना आवश्यक है।” इसी क्रम में महादेव सिनेमा हॉल में भी सामूहिक शपथ ग्रहण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां उपस्थित दर्शकों को सामाजिक बुराइयों के प्रति सजग रहने एवं
किसी भी संभावित घटना की सूचना प्रशासन को देने हेतु प्रेरित किया गया। जिला पदाधिकारी मिथिलेश मिश्र ने कहा कि जागरूकता ही बाल विवाह रोकथाम का सबसे प्रभावी माध्यम है। इसलिए शपथ ग्रहण, फिल्म प्रदर्शन, रैलियों एवं समुदाय-आधारित कार्यक्रमों के जरिए
आमजन को इस सामाजिक मुद्दे के प्रति संवेदनशील बनाया जा रहा है। उन्होंने अपील की कि— “किसी भी परिस्थिति में नाबालिग बच्चों का विवाह न होने दें। यह कानूनन अपराध है और बच्चों के स्वास्थ्य व भविष्य दोनों के लिए हानिकारक है।”लखीसराय संग्रहालय, राज
सिनेमा और महादेव सिनेमा में आज कुल 1500 से अधिक बच्चों ने विभिन्न फिल्मों का प्रदर्शन देखा और उनसे संबंधित संवाद सत्रों में भाग लिया। दिखाई गई प्रमुख फिल्में लखीसराय संग्रहालय: मूविंग फोकस, छिछोरे, लखीसराय म्यूज़ियम की डॉक्यूमेंट्री, राज सिनेमा: ओवर, सेलशटीना एंड लारेंस, सरदार पटेल, परीक्षा, छेल्लो शो, महादेव सिनेमा: स्वाहा (छात्रों एवं अभिभावकों की उपस्थिति) शामिल थे। दोपहर के सत्र में
महोत्सव के अंतिम दिन “बिहार का सिनेमा और उसकी प्रासंगिकता” विषय पर एक महत्वपूर्ण पैनल चर्चा आयोजित की गई। पैनल में उपस्थित थे— अजय ब्रह्मात्मज, डॉ. हितेंद्र के. पटेल, डॉ. निंदिता बनर्जी, अभिलाष शर्मा, विक्रम कुमार, बुल्लु कुमार (‘पंचायत’ फेम), अंकिता केरकेट्टा तथा महोत्सव संयोजक रविराज पटेल। वही पैनल चर्चा के प्रमुख बिंदु—
अजय ब्रह्मात्मज: बिहार की धरती कहानियों से समृद्ध है; इन्हें ईमानदारी से कैमरे तक लाने की आवश्यकता है। डॉ. हितेंद्र के. पटेल: बिहार सामाजिक-सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कथाओं का भंडार है; शोधपूर्ण प्रस्तुतिकरण से राज्य विश्व सिनेमा में अपनी अलग पहचान बना सकता है। डॉ. निंदिता बनर्जी: मगही, भोजपुरी, मैथिली जैसी भाषाएँ अपनी आत्मा लिए हुए हैं; इन भाषाओं में
बनी फिल्में समाज की वास्तविक आवाज़ बन सकती हैं। अभिलाष शर्मा: तकनीक सुलभ हो चुकी है; युवाओं को उचित मंच मिले तो बिहार की कहानियाँ राष्ट्रीय–अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चमकेंगी। विक्रम कुमार: बिहार के युवाओं में जुनून और क्षमता अपार है, आवश्यकता केवल अवसर और प्रशिक्षण की है। बुल्लु कुमार: छोटे कस्बों की कहानियाँ आज दुनिया सुनना चाहती है; बिहार का संघर्ष और हास्य वैश्विक दर्शकों को आकर्षित कर सकता है।
अंकिता केरकेट्टा: सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्मों में महिलाओं की कहानियाँ अधिक सामने लाए जाने की जरूरत है। रविराज पटेल: महोत्सव का उद्देश्य ही बिहार की कहानियों और प्रतिभाओं को राष्ट्रीय मंच प्रदान करना है। दर्शकों ने पैनलिस्टों से सवाल-जवाब भी किए। चर्चा तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सम्पन्न हुई। कार्यक्रम के अंत में जिला पदाधिकारी मिथिलेश मिश्र द्वारा वरिष्ठ फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज, रवि शेखर, विक्रम कुमार, फिल्म निर्माता मोहित मट्टू, अभिनेत्री अंकिता केरकेट्टा, डॉ. नंदिता बनर्जी एवं सागर इंडिया को स्मृति-
चिह्न देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुशांत कुमार एवं पीयूष कुमार झा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन फिल्मकार रविराज पटेल द्वारा दिया गया। फिल्म महोत्सव के अंतिम दिन आयोजित फिल्म क्विज में विजयी प्रतिभागियों को भी जिला प्रशासन द्वारा पुरस्कृत किया गया— 1. प्रथम स्थान: आयुषी कुमारी (केन्द्रीय विद्यालय, लखीसराय) 2. द्वितीय स्थान: सुजीत (उच्च माध्यमिक विद्यालय पाली) 3. तृतीय स्थान: अंजलि कुमारी (मध्य विद्यालय चंदनपुरा) 4. चतुर्थ स्थान: शर्मा दिव्यांश (पुरानी बाजार उच्च विद्यालय, लखीसराय) पुरस्कार जिला पदाधिकारी मिथिलेश मिश्र, जिला शिक्षा पदाधिकारी यदुवंश राम तथा नोडल शिक्षक पीयूष कुमार झा द्वारा संयुक्त रूप से प्रदान किए गए।





