कफ सिरप बना काल, डॉक्टर निलंबित, सरकार पर विपक्ष का हमला तेज,कांग्रेस सड़कों पर, सरकार पर तीखा हमला।
मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश – मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया है। मौतों का कारण बताए जा रहे कफ सिरप पर अब सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। सरकारी डॉक्टर प्रवीण सोनी, जिन्होंने बच्चों को यह सिरप प्रिस्क्राइब किया था, उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक, डॉक्टर ने न केवल बच्चों को यह सिरप लिखा बल्कि उसकी डोज भी सामान्य से ज्यादा थी, जबकि यह दवा बच्चों को देने के लिए अनुशंसित ही नहीं थी। इस दर्दनाक घटना के बाद राज्य और केंद्र सरकार दोनों सक्रिय हो गई हैं। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सचिव ने सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों की एक आपात बैठक बुलाई है, जिसमें दवाओं की गुणवत्ता, नकली दवाओं की पहचान और कफ सिरप की जांच को लेकर चर्चा की जा रही है। फिलहाल मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और केरल में इस सिरप की बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध (बैन) लगा दिया गया है। सरकार ने यह भी जांच शुरू की है कि बाजार में ऐसी और कितनी खतरनाक या नकली दवाएं प्रचलन में हैं, जो लोगों, खासकर बच्चों की जान के लिए खतरा बन सकती हैं। इस बीच, राजस्थान में भी तीन बच्चों की मौत का दावा सामने आया है, जिनकी मौत का कारण भी यही संदिग्ध कफ सिरप बताया जा रहा है। वहां भी जांच के आदेश दे दिए गए हैं और केंद्र सरकार की टीम मौके पर पहुंच चुकी है। घटना के बाद अब यह मामला राजनीतिक रूप भी ले चुका है। राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों जगहों पर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास की अगुवाई में कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं। उन्होंने राज्य सरकार पर गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। खाचरियावास ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन नकली और घटिया दवाओं के खिलाफ है। उन्होंने सवाल उठाया कि “जब सरकार खुद नकली दवाएं बेचने वालों को संरक्षण देगी, तो लोग जिंदा कैसे रहेंगे?” उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह दवा कंपनियों को बचाने की कोशिश कर रही है और दवाओं के नाम पर भ्रष्टाचार कर रही है। कांग्रेस नेताओं ने चिकित्सा मंत्री और मुख्यमंत्री दोनों से इस्तीफे की मांग की है। उनका कहना है कि जब सरकार बच्चों का इलाज तक ठीक से नहीं करवा पा रही और उन्हें मौत के मुंह में धकेल रही है, तो ऐसी सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है। खाचरियावास ने कहा “सरकार की यह नाकामी अब साफ हो गई है। जो सरकार बच्चों की जिंदगी नहीं बचा सकती, उसे जनता के सामने जवाब देना ही होगा।” मामले ने अब पूरे देश में दवा नियंत्रण प्रणाली (Drug Regulatory System) की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर ऐसी जहरीली या नकली दवाएं बाजार में कैसे पहुंच रही हैं? क्या इन पर निगरानी के लिए कोई ठोस तंत्र मौजूद नहीं है? अब जबकि इस “कातिल सिरप” को देशभर में बैन कर दिया गया है, जनता यह जानना चाहती है कि 18 मासूमों की जान लेने वाली इस भयावह लापरवाही की जिम्मेदारी कौन लेगा — डॉक्टर, दवा कंपनी या सरकारी सिस्टम? सरकार के एक्शन और विपक्ष के हमलों के बीच यह मामला अब सिर्फ स्वास्थ्य संकट नहीं, बल्कि राजनीतिक और नैतिक जवाबदेही का मुद्दा बन गया है।




