
उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। गोरखपुर के पिपराइच थाना क्षेत्र में नीट की तैयारी कर रहे छात्र दीपक गुप्ता की हत्या ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। घटना ने न सिर्फ़ एक परिवार की उम्मीदें तोड़ीं, बल्कि समाज और सरकार के सामने कई गंभीर प्रश्न भी खड़े कर दिए हैं। मामला बेहद भयावह हुई। गांव में चोरी और तस्करी करने पहुंचे गौ-तस्करों को देखते ही दीपक गुप्ता ने शोर मचाया। यही साहस उनकी जान पर भारी पड़ गया। आरोप है कि तस्करों ने छात्र को अगवा किया, एक घंटे तक वाहन में
घुमाया और फिर बेरहमी से मुंह में गोली मारकर चार किलोमीटर दूर शव फेंक दिया। यह सिर्फ़ हत्या नहीं, बल्कि संगठित अपराध की उस मानसिकता को दर्शाता है जिसमें अपराधी बेखौफ होकर वारदात को अंजाम देते हैं। घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने आरोपियों की गाड़ी को आग के हवाले कर दिया और पुलिस पर पथराव भी किया। एक गौ-तस्कर को पकड़कर लोगों ने अधमरा कर दिया। यह आक्रोश बताता है कि गांव और कस्बों में लंबे समय से पशु तस्करों का डर और आतंक मौजूद है। लोग मानते हैं कि अगर समय रहते कड़ी कार्रवाई हुई होती तो दीपक गुप्ता की जान बच सकती थी। वही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर तुरंत संज्ञान लिया। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को मौके पर भेजा और पीड़ित परिवार से बातचीत कर सांत्वना दी। साथ ही स्पष्ट किया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन असली चुनौती अब पुलिस और STF के सामने है। STF को जांच की कमान सौंप दी गई है। संदिग्ध ठिकानों पर छापेमारी हो रही है। सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल लोकेशन खंगाले जा रहे हैं। पुराने तस्करी के मामलों को दोबारा खंगालकर सुराग निकाले जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में पहले भी कई बार पुलिस और पशु तस्करों के बीच मुठभेड़ हुई है। अक्सर ये गिरोह संगठित और सीमा-पार नेटवर्क से जुड़े होते हैं। ऐसे में STF के लिए सिर्फ़ हत्यारों को पकड़ना ही नहीं, बल्कि पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करना भी ज़रूरी होगा। यही वजह है कि यह मामला सामान्य हत्या से कहीं अधिक जटिल है।दीपक गुप्ता की मौत से समाज में असुरक्षा की भावना गहरी हुई है। राजनीतिक तौर पर भी यह वारदात सरकार के लिए चुनौती है। विपक्ष ने कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि जब पढ़ाई करने वाले छात्र तक सुरक्षित नहीं हैं, तो आम आदमी का क्या होगा। सरकार का जवाब है कि दोषियों को सख़्त से सख़्त सज़ा दी जाएगी और तस्करी के खिलाफ़ अभियान और तेज़ किया जाएगा। आज लोग यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या पुलिस और STF इस बार सफल होंगे? क्या वे सिर्फ़ हत्यारों तक ही पहुँचेंगे या उस पूरे तस्करी तंत्र को भी खत्म करेंगे, जो बार-बार ऐसी घटनाओं को जन्म देता है? दीपक गुप्ता की हत्या ने यह साफ़ कर दिया है कि अपराध के खिलाफ़ लड़ाई सिर्फ़ प्रशासनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि सामाजिक संकल्प भी है। अगर तस्करी और अपराध के इस नेटवर्क को जड़ से खत्म नहीं किया गया तो ऐसी घटनाएँ बार-बार होंगी।




