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औरंगाबाद में अतिपिछड़ा समाज की हुंकार, राजनीतिक हिस्सेदारी की मांग तेज,38 प्रतिशत आबादी के बावजूद उपेक्षा का आरोप।

औरंगाबाद

औरंगाबाद – अति पिछड़ा अधिकार मंच के बैनर तले शुक्रवार को औरंगाबाद में गांधी मैदान से नगर भवन तक अतिपिछड़ा अधिकार महारैली का भव्य आयोजन किया गया। इस रैली का नेतृत्व कुटुंबा प्रखंड प्रमुख एवं नबीनगर विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी धर्मेंद्र कुमार चंद्रवंशी ने किया।ननगर भवन में आयोजित सम्मेलन की

अध्यक्षता धर्मेंद्र चंद्रवंशी तथा संचालन बबन प्रजापति ने किया। इस मौके पर पहली बार जिले के विभिन्न अति पिछड़ा वर्ग एक मंच पर एकजुट दिखे और अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की मांग को लेकर जोरदार हुंकार भरी।नसभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि अति पिछड़ा समाज जिले की 38 प्रतिशत आबादी के साथ सबसे बड़ी ताक़त है। इसके बावजूद इस समाज को अब तक राजनीतिक प्रतिनिधित्व

से वंचित रखा गया है। वक्ताओं ने साफ चेतावनी दी कि आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में यदि उचित राजनीतिक भागीदारी नहीं मिली तो “टिकट नहीं तो वोट नहीं” के फ़ॉर्मूले पर आंदोलन छेड़ा जाएगा। सम्मेलन में समाज ने अपनी 5 प्रमुख मांगें रखीं – 1. आबादी के अनुपात में राजनीतिक भागीदारी। 2. केंद्रीय अति पिछड़ा आयोग का गठन। 3. विधानसभा एवं लोकसभा में सीट आरक्षण। 4. सरकारी व निजी क्षेत्रों में आरक्षण सुनिश्चित

करना। 5. औरंगाबाद जिले से विधानसभा चुनाव में टिकट दिया जाना। सभा को संबोधित करते हुए धर्मेंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि औरंगाबाद जिले की छह विधानसभा सीटों में अब तक अति पिछड़ा समाज की घोर उपेक्षा की गई है। जबकि यह समाज जिले में डेढ़ लाख से अधिक वोटों के साथ सत्ता बनाने और हटाने की क्षमता रखता है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अबकी बार यदि हिस्सेदारी सुनिश्चित नहीं हुई तो अति पिछड़ा समाज निर्णायक संघर्ष करेगा। इस मौके पर आयोजन समिति के

अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार चंद्रवंशी के साथ बिनोद ठाकुर, राजेश गुप्ता, दिनेश पाल, गया प्रजापति, सुरेंद्र प्रसाद, राजदेव पाल, सुरेंद्र चौरसिया, राजरूप पाल, जितेंद्र जोशी, उपेंद्र चंद्रवंशी, अजीत ठाकुर, दिलीप गुप्ता, जिला पार्षद प्रतिनिधि ओम प्रकाश गुप्ता, मोहम्मद रमजान, शारदा शर्मा, राजेश शर्मा, जगदीश चौधरी सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। नगर भवन परिसर में अति पिछड़ा समाज की गूंजती आवाज़ और रैली में उमड़े जनसैलाब ने साफ कर दिया कि आने वाले चुनाव में इस वर्ग की हिस्सेदारी एक बड़ा मुद्दा बनेगा।

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