मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस पर विकासार्थ ने बच्चों की सुरक्षा के लिए समन्वित कार्रवाई पर दिया जोर।
डीपीओ वंदना पांडेय और किऊल आर पी एफ इंस्पेक्टर प्रशांत कुमार ने भी कार्यवाही में साथ देने की बात कही।

लखीसराय – मानव दुर्व्यापार विरोधी दिवस के अवसर पर विकासार्थ की पहल पर लखीसराय में बुधवार 30 जुलाई 2025 को हुए एक कार्यक्रम में बाल संरक्षण और बाल अधिकारों के क्षेत्र से जुड़े सभी प्रमुख हितधारक एक साथ आए।
इस कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास निगम रेलवे सुरक्षा दल, श्रम विभाग बल संरक्षण इकाई बाल कल्याण समिति और मीडिया के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और एक सुर से स्वीकार किया कि बाल दुर्व्यापार यानी बच्चों की ट्रैफिकिंग से निपटने के लिए सभी एजेंसियों व विभागों को साथ मिलकर कार्रवाई करने की सख्त जरूरत है ताकि ट्रैफिकिंग गिरोहों में कानून का भय पैदा हो सके।
महिला विकास निगम कार्यालय में डीपीओ बंदना पाण्डेय और इसके पूर्व किऊल रेलवे स्टेशन पर भी लोगो को जागरूक करने की बात कह आर पी एफ इंस्पेक्टर प्रशांत कुमार ने अपनी भूमिका निभाते हुए कहा कि ये बहुत जरुरी हो जाता है और इसको लेकर आहट जो सरकार का अपना एक प्रोग्राम है जिसके तहत हमलोग लगातार कार्य कर रहे है इसके तहत भी इस ट्रैफिकिंग की समस्या को कम किया जा रहा है।

विकासार्थ, देश में बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए 250 से भी अधिक नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) का सहयोगी संगठन है और लखीसराय में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रहा है।
जेआरसी बाल श्रम, बच्चों की ट्रैफिकिंग, बाल विवाह और बाल यौन शोषण के शिकार बच्चों की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। बच्चों की ट्रैफिकिंग से निपटने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सामने आने वाली वाली चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कार्यक्रम में मौजूद अधिकारियों ने सामूहिक रूप से यह माना कि मौजूदा कानूनों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, संवेदनशील तबकों को ट्रैफिकिंग गिरोहों और उनके कामकाज के तरीकों के बारे में संवेदनशील बनाना और सभी एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत करना तत्काल जरूरी है,
ताकि मुक्त कराए गए बच्चों के लिए तय समयसीमा में न्याय और पुनर्वास सुनिश्चित किया जा सके। विकासार्थ ने यह रेखांकित किया कि बच्चों की ट्रैफिकिंग केवल बाल मजदूरी या मुनाफे के लिए यौन शोषण तक ही सीमित नहीं है। बहुत से बच्चे, खास तौर से लड़कियां, जबरन विवाह के लिए भी ट्रैफिकिंग का शिकार बनती हैं। यह एक एक ऐसी समस्या है जिसके बारे में कम ही चर्चा की जाती है और रोकथाम के उपायों पर भी ज्यादा बात नहीं होती।
बताते चलें कि जुलाई में विकासार्थ ट्रस्ट ने रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के साथ मिलकर बच्चों की ट्रैफिकिंग के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए रेलवे स्टेशनों पर अभियान चलाया। चूंकि ट्रैफिकिंग गिरोह अक्सर बच्चों को दूसरे राज्य ले जाने के लिए रेल मार्ग का उपयोग करते हैं, इसलिए इस अभियान का फोकस यात्रियों, रेल कर्मियों, विक्रेताओं, दुकानदारों और कुलियों को बाल तस्करी के संकेतों की पहचान करने और संदिग्ध मामलों की सुरक्षित रूप से रिपोर्ट करने के लिए संवेदनशील बनाना था।
बच्चों की सुरक्षा के लिए सभी हितधारकों के बीच तालमेल व समन्वय की अहमियत और जिला प्रशासन के सहयोग को रेखांकित करते हुए विकासार्थ की सचिव सुनीता सिंह ने कहा, “अगर बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकना है तो कानूनी कार्रवाई जरूरी है। बाल दुर्व्यापारियों को जब शीघ्र और सख्त सजा मिलेगी, तभी हम उनमें कानून का भय पैदा कर पाएंगे और यह भय ट्रैफिकिंग की रोकथाम के लिए सबसे असरदार उपाय साबित होगा।
रोकथाम अभियानों की सफलता के लिए जिले में मजबूत प्रशासनिक समन्वय और समयबद्ध कानूनी कार्रवाई आवश्यक है। इस तरह से काम कर हम न सिर्फ बच्चों की सुरक्षा बल्कि उन ट्रैफिकिंग गिरोहों के नेटवर्क का भी खात्मा कर सकेंगे जो बच्चों का शिकार करते हैं।” इस संगोष्ठी के दौरान लेगिंग विशेषज्ञ किस्मत कुमारी, डाटा इंट्री ऑपरेटर ब्यूटी कुमारी, (dpm) जिला प्रयोजन प्रबंधक मनोज कुमार सिंह,जिला मिशन समन्वय प्रशांत कुमार,केंद्र प्रशासक पूनम कुमारी संग विकासार्थ ट्रस्ट के तमाम कार्यकर्ता शामिल हुए।




