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वट सावित्री पूजा को लेकर अलग-अलग स्थान पर महिला अपने पति की लंबी उम्र को लेकर पूजा करती दिखाई दी।

लखीसराय (सुजीत कुमार)

लखीसराय – जिले के चानन प्रखंड में वट सावित्री पूजा को लेकर अलग-अलग स्थान पर महिला अपने पति की लंबी उम्र को लेकर पूजा करती दिखाई दी।

वट सावित्री की पूजा अहम क्यों होती हैं मान्यता के अनुसार वट पूजा के पीछे सीता माता के द्वारा मिली वरदान की कथा भी है जिसमें वट वृक्ष को वरदान मिला था।

दूसरी ओर सावित्री और सत्यवान दोनों पति पत्नी थे और जमराज के अनुसार सत्यवान की मृत्यु एक निश्चित तिथि पर निश्चित होना था।

इस बात को सावित्री जानती थी। एक दिन सत्यवान लकड़ी काटने को जंगल पहुंचा और उसे पेट में दर्द हुआ। इस क्रम में सत्यवान अपनी पत्नी सावित्री की गोद में सर रखकर अंतिम सांस ले रहे थे और तभी यमराज पहुंचे पर सावित्री की सत्यता और पतिव्रता के कारण यम भी हार गए थे और उनके पति की मृत्यु टल गई उसी समय से वट सावित्री कथा सुनने का शुरूआत हुआ।

वही पूजा के दौरान सुहागिन महिलाओं ने नजदीक के पीपल एवं बरगद पेड़ की पूजा की इसको लेकर सुबह 7 बजे के आस पास से महिलाओं की भीड़ लगी रही। नए वस्त्र धारण कर संपूर्ण श्रृंगार कर महिलाओं ने पेड़ में लाल धागा बांधकर फेरे लगाए। वही वट वृक्ष के नीचे बैठकर ब्रह्मा जी, सत्यवान और सावित्री की विधि विधान के साथ पूजा कर पंडित गुड्डू मिश्रा से वट सावित्री की कथा भी सुनी।

गुड्डू मिश्रा ने बताया कि वट सावित्री व्रत करने से सौभाग्य, आयु एवं लक्ष्मी की वृद्धि होती है। महिलाओं ने पूजा के दौरान चूड़ी, सिदूर, काजल, मेहंदी, वस्त्र, दर्पण आदि श्रृंगार का सामान चढ़ाई।

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