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तीन दिवसीय लखीसराय फ़िल्म महोत्सव 2025 का दूसरा दिन उत्साह, रचनात्मकता और सहभागिता से भरपूर रहा।

लखीसराय

लखीसराय – तीन दिवसीय लखीसराय फ़िल्म महोत्सव 2025 का दूसरा दिन उत्साह, रचनात्मकता और सहभागिता से भरपूर रहा। 3, 4 एवं 5 दिसंबर 2025 तक आयोजित इस महोत्सव के तहत आज विभिन्न सत्रों का सफल आयोजन किया गया। शहर के प्रमुख सांस्कृतिक केंद्रों—लखीसराय संग्रहालय, राज सिनेमा और महादेव टॉकीज—में फिल्म प्रदर्शन, संवाद सत्र और मास्टर क्लास आयोजित किए गए, जिनमें हजारों बच्चों तथा दर्शकों ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर महोत्सव को सफल बनाया। दूसरे दिन प्रदर्शित फ़िल्मों में विविध विषयों, शैलियों और भाषाओं की श्रेष्ठ कृतियों को शामिल किया गया। वृत्तचित्र बहुरूपिया, हिंदी फीचर फिल्म अंधाधुन, संस्कृत फीचर फिल्म भगवदाजुकम, मगही फीचर फ़िल्म स्वाहा, लघु फिल्में क्रोसिंग बॉर्डर्स, जूयें और मानसून वॉक, फीचर फिल्में आवर्तन, मट्टो की साइकिल और इरादा, तथा लखीसराय की विरासत पर आधारित विशेष वृत्तचित्र “लखीसराय म्यूज़ियम डिस्कवरी: ए ग्लिम्प्स ऑफ़ ग्लोरी” ने दर्शकों को कला, संस्कृति और समाज से जोड़ने का सराहनीय प्रयास किया। विविध भाषाओं और शैलियों की इन फिल्मों ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि सामाजिक मुद्दों से परिचित कराने और संवेदनशीलता विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम में बच्चों और युवा प्रतिभागियों ने फिल्म निर्माण की बारीकियों, सिनेमाई प्रस्तुतीकरण, पटकथा लेखन और तकनीकी पक्षों के बारे में विस्तृत जानकारी ग्रहण की। संवाद के इस मंच ने लोगों को प्रेरित किया तथा क्षेत्र में फिल्म निर्माण की संभावनाओं पर सार्थक चर्चा का अवसर प्रदान किया। महोत्सव के इस महत्वपूर्ण दिन में जिला पदाधिकारी, लखीसराय श्री मिथिलेश मिश्र, जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी श्री मृणाल रंजन, तथा श्री रविराज पटेल ने दर्शकों से संवाद स्थापित करते हुए बिहार फिल्म नीति, पर्यटन स्थलों की सहभागिता, स्थानीय संस्कृति के संरक्षण, तथा युवाओं में कला के प्रति बढ़ती रुचि जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा बनाई गई फिल्म नीति कैसे नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित कर रही है और लखीसराय में फिल्मांकन की संभावनाओं को बढ़ावा दे रही है। सत्र के दौरान दर्शकों, विशेषकर बच्चों और युवाओं ने उत्सुकता के साथ सवाल पूछे और फिल्मों तथा फिल्म निर्माण प्रक्रिया से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की। जिला पदाधिकारी श्री मिश्र ने कहा कि ऐसे आयोजनों से जिले की सांस्कृतिक पहचान मजबूत होती है और बच्चों में रचनात्मक कौशल का विकास होता है। वहीं श्री मृणाल रंजन ने कला एवं संस्कृति विभाग के प्रयासों की जानकारी दी और स्थानीय कलाकारों के लिए उपलब्ध अवसरों पर प्रकाश डाला। श्री रविराज पटेल ने भी दर्शकों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए फिल्म महोत्सव को जिले की प्रतिभाओं के लिए एक सशक्त मंच बताया। लखीसराय फ़िल्म महोत्सव का दूसरा दिन न केवल यादगार फिल्मों, संवादों और सीख से भरपूर रहा, बल्कि इसने जिले में फिल्म संस्कृति को नई ऊर्जा और दिशा प्रदान की। इस अवसर पर जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी श्री मृणाल रंजन, वरीय उपसमाहर्ता श्री शशि कुमार, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (आईसीडीएस) श्रीमती वंदना पाण्डेय, मुंबई सिनेयात्रा से श्री रविराज पटेल सहित अन्य पदाधिकारी एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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