जीतन राम मांझी के बयान पर सियासी घमासान, मंत्री ने आरोपों को बताया बेबुनियाद।
गया

गया- केन्द्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक जीतन राम मांझी के एक बयान को लेकर प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव से जुड़ी उनकी टिप्पणी पर विपक्ष ने सवाल खड़े करते हुए चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर
निशाना साधा है। हालांकि, पूरे विवाद पर सफाई देते हुए मांझी ने कहा कि उनके बयान को मीडिया के एक हिस्से द्वारा गलत संदर्भ में पेश किया गया है। जीतन राम मांझी ने कहा कि चुनाव हारने वाले प्रत्याशी अकसर गुस्से और हताशा में अनर्गल बयान देने लगते हैं। उन्होंने अपने पुराने
राजनीतिक अनुभवों का हवाला देते हुए बताया कि वर्ष 1990 के विधानसभा चुनाव में उन्हें मात्र 182 मतों से हार का सामना करना पड़ा था। मांझी के अनुसार, यदि उस समय रिकाउंटिंग (पुनर्गणना) कराई जाती, तो परिणाम उनके पक्ष में आ सकता था। उन्होंने स्पष्ट किया
कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में वह पूरी तरह संवैधानिक और नियमानुसार कराई गई रिकाउंटिंग के कारण विजयी हुए थे। मांझी ने कहा कि उस समय के जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप पुनर्गणना कराई थी, जिसके बाद परिणाम उनके पक्ष में घोषित हुआ। केन्द्रीय मंत्री ने यह
भी कहा कि रिकाउंटिंग के माध्यम से चुनाव जीतने की घटनाएं केवल 2020 तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वर्ष 2025 में भी विपक्ष और सत्ता पक्ष—दोनों के कुछ उम्मीदवारों को इसका लाभ मिला है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि अनिल कुमार रिकाउंटिंग की मांग करते, तो संभव है कि वे भी चुनाव जीत जाते, लेकिन
उन्होंने मतगणना केंद्र से बाहर निकलकर हार स्वीकार कर ली। मांझी ने दोहराया कि भारत की चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह संवैधानिक, पारदर्शी और नियमों के तहत संचालित होती है। इसमें किसी भी प्रकार की अनियमितता का आरोप निराधार और राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है। इसी क्रम में हिजाब प्रकरण को
लेकर भी केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन में सामने आए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। मांझी ने कहा, “इसमें गलत क्या कहा गया? अगर नीतीश कुमार 20–25 साल के होते तो बात अलग होती, लेकिन वे 74 वर्ष के हैं। उनका आशय केवल इतना था कि अगर लड़की आगे चलकर डॉक्टर बनेगी और पब्लिक से मिलने जाएगी, तो उसे हिजाब हटाकर मिलना चाहिए।” मांझी ने आरोप लगाया कि कुछ लोग इस मुद्दे को जानबूझकर तूल देकर समाज में उग्रवाद फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सकारात्मक बात है कि लड़की नौकरी करने को तैयार है और उसके परिवार ने भी इस मामले को बढ़ावा न देने की अपील की है। केन्द्रीय मंत्री ने समाज से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि ऐसे मुद्दों को राजनीतिक रंग देना दुर्भाग्यपूर्ण है।




