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चोरमारा गांव में 25 वर्ष बाद पीडीएस राशन वितरण,जिला प्रशासन की पहल से ग्रामीणों को मिली बड़ी राहत।

जमुई बरहट

जमुई बरहट – जमुई जिले के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र चोरमारा गांव में वर्षों से चली आ रही एक बड़ी समस्या का समाधान जिला प्रशासन ने कर दिया है। मतदान संपन्न होने के बाद प्रशासनिक सक्रियता बढ़ी और विकास की किरण इस दुर्गम पहाड़ी गांव तक पहुंचने लगी है। मंगलवार का दिन गांववासियों के लिए ऐतिहासिक रहा, जब लगभग 25 वर्ष बाद पहली बार चोरमारा गांव में ही जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) का राशन बांटा गया। लंबे समय से बिजली के अभाव की समस्या झेल रहे ग्रामीणों के लिए भी उम्मीद की नई किरण दिखाई दे रही है। वर्षों तक तार और खंभे का नामोनिशान तक न होने वाले इस गांव में अब बिजली के खंभे लगाए जाने का काम प्रारंभ हो गया है। जल्द ही इस दुर्गम इलाके में बिजली आपूर्ति शुरू होने की संभावना है, जिससे पेयजल सहित अन्य आवश्यक सेवाएं सुचारू हो सकेंगी। नक्सल खतरे और सुरक्षा कारणों से ग्रामीणों को अपना पीडीएस राशन प्राप्त करने के लिए कई किलोमीटर लंबा जंगली और पहाड़ी रास्ता पैदल तय कर बरहट तक जाना पड़ता था। जोखिम भरे सफर के कारण कई बार लोग राशन से वंचित भी रह जाते थे। लेकिन अब यह कठिनाई खत्म हो गई है। जिलाधिकारी नवीन कुमार के निर्देश पर इस माह से गांव में ही वितरण की व्यवस्था लागू की गई। मंगलवार को एडीएम और अनुमंडल पदाधिकारी सहित जिला प्रशासन के अधिकारियों ने चोरमारा पहुंचकर स्वयं ग्रामीणों के बीच खाद्यान्न का वितरण किया। अनुमंडल पदाधिकारी सौरव कुमार ने बताया कि नक्सली घटनाओं के कारण पिछले 25 वर्ष से यहां राशन वितरण संभव नहीं हो पा रहा था, लेकिन अब सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होने के बाद यह बड़ा निर्णय लिया गया है। राशन वितरण के साथ ही प्रशासन ने गांव में कैंप लगाकर नए राशन कार्ड बनाने तथा सभी लाभुकों का ई-केवाईसी कराने की घोषणा की। लक्ष्य है कि हर पात्र व्यक्ति को अनाज का लाभ बिना किसी बाधा के मिल सके तथा गांव को जल्द ही सौ प्रतिशत खाद्यान्न उपलब्धता वाले गांव के रूप में स्थापित किया जा सके। लगभग 25 वर्षों के बाद गांव में राहत पहुंचने पर ग्रामीणों के चेहरों पर संतोष और उत्साह देखा गया। लोगों ने जिला प्रशासन की इस पहल को ऐतिहासिक बताते हुए आशा जताई कि शीघ्र ही सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी अन्य बुनियादी सुविधाएं भी तेजी से विकसित होंगी। चोरमारा गांव के निवासियों का कहना है कि इस पहल ने गांव में विश्वास का संचार किया है और अब वे विकास की राह में स्वयं को अकेला नहीं महसूस कर रहे। आज सच में लगा कि सरकार हमारे बारे में सोच रही है।

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