
पटना – बिहार में एक बार फिर भ्रष्टाचार के मामलों में जब्त की गई संपत्तियों पर स्कूल खोले जाने के मुद्दे ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। गृहमंत्री सम्राट चौधरी के हालिया बयान के बाद एनडीए के भीतर ही अलग–अलग
व्याख्याएँ सामने आ रही हैं। इस बयान को लेकर भाजपा और जदयू के प्रवक्ताओं के बीच बयानबाज़ी तेज हो गई है। जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने इस विषय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वर्ष 2020 से ही मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रही एनडीए सरकार के दौरान भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की संपत्तियों को जब्त कर उन पर स्कूल खोले गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे निर्णय सरकार के स्तर पर नीति के तहत लिए जाते हैं और यह कोई नई या व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं है।
वहीं भाजपा प्रवक्ता कुन्तल कृष्णन ने गृहमंत्री सम्राट चौधरी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि लालू प्रसाद यादव की जब्त संपत्तियों पर स्कूल खोले जाने की बात कोई अस्पष्ट या नई परंपरा नहीं है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचारियों की जब्त संपत्तियों का जनहित में उपयोग
करना एनडीए सरकार की पुरानी नीति रही है। भाजपा प्रवक्ता ने यह भी कहा कि लालू प्रसाद यादव एक सजायाफ्ता भ्रष्टाचारी हैं और यदि उनकी कोई भी संपत्ति भ्रष्टाचार से अर्जित पाई जाती है, तो उस पर स्कूल खोला जाना तय है। इस पूरे मामले में गृहमंत्री के बयान को
लेकर अलग–अलग राजनीतिक दल अपनी-अपनी व्याख्या पेश कर रहे हैं। एक ओर जदयू इसे सरकार की सामूहिक और पहले से चली आ रही नीति बता रहा है, तो वहीं भाजपा इसे एनडीए सरकार की सख्त भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई के रूप में प्रस्तुत कर रही है।




