भ्रष्टाचार एक सामाजिक कैंसर, जिसका इलाज असंभव: प्रो.गौरी शंकर, भ्रष्टाचार उजागर में स्वतंत्र,निष्पक्ष व सशक्त मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका आवश्यक।
जमुई

जमुई: अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस पर “भ्रष्टाचार और आर्थिक विकास” पर केकेएम कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग के सहायक प्राचार्य एवं दिल्ली क्राइम एंड भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा के सदस्य डॉ. (प्रो.) गौरी शंकर
पासवान ने एक प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से कहा कि भ्रष्टाचार एक सामाजिक कैंसर है, जिसका इलाज असंभव है। क्योंकि यह समाज में गहराई तक फैला है। यहां तक कि भ्रष्टाचार इंसान के रक्त में मिश्रित हो चुका
है। इसे खत्म करना बहुत बड़ी चुनौती है। अतः हर नागरिक की जिम्मेदारी बनती है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाएं और इसे रोकें। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार आर्थिक विकास का शत्रु है। वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के मार्ग में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा बैरियर है। अतः स्वतंत्र, निष्पक्ष और सशक्त मीडिया को भी भ्रष्टाचार उजागर और भ्रष्टाचार निवारण में पुनः
महत्वपूर्ण भूमिका निभाने एवं मिशन चलाने की आवश्यकता है। बिहार सरकार ने जीरो टोलरेंस की नीति अपनाई है फिर भी भ्रष्टाचार के मामले आते ही रहते हैं। उन्होंने कहा कि आज भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन चुका है। ईमानदारी का जनाजा निकल रहा है। नैतिकता के कवर हट चुके हैं। भ्रष्टाचार नैतिकता की हार है, तो स्वार्थ की जीत। अब स्वयं से शुरुआत का समय आ चुका है। हर व्यक्ति को स्वयं रिश्वत न लेने एवं न देने का संकल्प लेना चाहिए। क्योंकि घर से शुरुआत ही सबसे प्रभावी होती है। भ्रष्टाचार से निपटने के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही, कड़े कानून व नागरिक जागरूकता आवश्यक है। प्रो. पासवान
ने आगे कहा कि भ्रष्टाचार समाज की सबसे बड़ी समस्या है। भ्रष्टाचार का तात्पर्य ही है भ्रष्ट आचरण। यह समाज के हर स्तर पर मौजूद है। भारत को को भी जीरो भ्रष्टाचार वाला देश सिंगापुर, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड और फिनलैंड जैसे बनाने की आवश्यकता है। तभी भारत का सामाजिक आर्थिक विकास तेजी से अग्रसर होगा। भ्रष्टाचार सिर्फ स्थानीय व राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि ग्लोबल
प्रॉब्लम है। निजी लाभ के लिए देश हित को भूल जाना भ्रष्टाचार की निशानी है। सिस्टम में पारदर्शिता की कमी, कमजोर कानून भ्रष्टाचार के लिए उपजाऊ जमीन तैयार करती है। जब तक भ्रष्टाचार को पूरे देश में जड़मूल से समाप्त नहीं होगा, तब तक सन 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना अधूरा ही रहेगा।




