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तीन दिवसीय लखीसराय अकादमी सम्मेलन 2025 का भव्य शुभारंभ।

लखीसराय

लखीसराय – मंगलवार दिनांक 25 नवम्बर 2025 को लखीसराय संग्रहालय स्थित ऑडिटोरियम कक्ष में लखीसराय अकादमी सम्मेलन 2025 का तीन दिवसीय भव्य शुभारंभ धूमधाम से किया गया। इस वर्ष सम्मेलन का केंद्रीय विषय “ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में मगध : नवीन शोध” रखा गया है। 25 से 27 नवम्बर तक आयोजित

होने वाले इस महत्वपूर्ण शैक्षणिक कार्यक्रम में देश-विदेश के प्रख्यात विद्वान भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत जिला पदाधिकारी लखीसराय श्री मिथिलेश मिश्र तथा उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा पारंपरिक दीप प्रज्वलन से की गई। इसके पश्चात आगंतुकों का पौधा, पुष्पगुच्छ एवं कॉफी टेबल बुक प्रस्तुत कर स्वागत किया गया। अपने संबोधन में जिला पदाधिकारी ने लखीसराय के गौरवशाली अतीत, विशेषकर लाली पहाड़ी उत्खनन, प्राचीन मूर्तियों, पुरातात्विक संकेतों तथा आगामी लाली पहाड़ी महोत्सव के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि लखीसराय भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है और इसे वैश्विक शोध परिदृश्य में स्थापित करना समय की आवश्यकता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिहार संग्रहालय के महानिदेशक श्री अंजनी कुमार सिंह ने बिहार की समृद्ध धरोहर, संरक्षित पुरातात्विक स्थलों, मूर्तिकला एवं ऐतिहासिक अवशेषों के संरक्षण के महत्व पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि लखीसराय क्षेत्र हजारों वर्षों से सांस्कृतिक, धार्मिक एवं व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र रहा है तथा यहां की धरोहरें निरंतर शोध के लिए नई संभावनाएँ प्रस्तुत कर रही हैं। प्रख्यात पुरातत्वविद प्रोफेसर अनिल कुमार ने लाली पहाड़ी उत्खनन पर नवीन शोध प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह स्थल प्राचीन मगध सभ्यता के विविध आयामों को उजागर करता है। कार्यक्रम में सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र के माननीय विधायक श्री रामानंद मंडल ने जिला प्रशासन के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन न केवल स्थानीय इतिहास को पहचान दिलाते हैं बल्कि युवाओं में शोध एवं संरक्षण के प्रति रुचि भी जगाते हैं। इस अवसर पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विद्वानों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। डॉ. लक्ष्मी रोज ग्रिव्स, डॉ. फियोना अब्बाकी, प्रो. आर.के. चट्टोपाध्याय समेत कई विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। प्रो. चट्टोपाध्याय ने पूर्वी भारत में प्राचीन राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं व्यापारिक नेटवर्कों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मगध सभ्यता का प्रभाव भारत उपमहाद्वीप के व्यापक इतिहास में स्पष्ट दिखाई देता है। ऑनलाइन माध्यम से जुड़ीं डॉ. क्लाउडिन ब्राउज पिक्रोन ने 11वीं व 12वीं शताब्दी के मगध से संबंधित महत्वपूर्ण शोध निष्कर्ष साझा किए। वहीं डॉ. रजत सान्याल, प्रो. रोहिया दसनायका ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रो. अभिषेक सिंह अमर ने विष्णु एवं सूर्य की प्राचीन मूर्तियों, उनकी विशेषताओं एवं सांस्कृतिक प्रासंगिकता पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए।कार्यक्रम में बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं लखीसराय के विधायक माननीय श्री विजय कुमार सिन्हा ने वर्चुअल माध्यम से भाग लिया। उन्होंने लखीसराय की प्राचीन धरोहरों, विशेषकर लाली पहाड़ी सहित अन्य संरक्षित स्थलों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लखीसराय का इतिहास गौरव का विषय है और इसे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने हेतु ऐसे कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। समारोह में अपर समाहर्ता श्री नीरज कुमार, उप विकास आयुक्त श्री सुमित कुमार, जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी सुश्री प्राची कुमारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी श्री रवि कुमार, जिला योजना पदाधिकारी श्री आशुतोष कुमार, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (ICDS) श्रीमती वंदना पाण्डेय सहित जिला स्तरीय पदाधिकारी, प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी, शोधार्थी, शिक्षक, छात्र-छात्राएँ एवं दर्शक उपस्थित रहे। पहले दिन का सत्र ज्ञानवर्धक व उत्साहपूर्ण रहा। आगामी दो दिनों में भी मगध के इतिहास, पुरातत्व, शिल्पकला एवं सांस्कृतिक धरोहरों पर विविध विशेषज्ञों के शोध-प्रस्तुतीकरण आयोजित किए जाएंगे।

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