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गंगरा पंचायत स्थित बाबा कोकिलचंद धाम मंदिर में परंपरागत नेमान पर्व यानी नवान्न पूजा का आयोजन।

जमुई गिद्धौर

जमुई गिद्धौर- गिद्धौर प्रखंड के गंगरा पंचायत स्थित ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर बाबा कोकिलचंद धाम मंदिर में आज परंपरागत नेमान पर्व यानी नवान्न पूजा का आयोजन किया जाएगा। करीब सात सदियों से चली आ रही यह अनूठी परंपरा अगहन माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले सोमवार, बुधवार या शुक्रवार को हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इसी क्रम में आज पूरे गंगरा गांव में उल्लासपूर्ण वातावरण है और पूजा की सभी तैयारियाँ पूर्ण कर ली गई हैं। यह जानकारी बाबा कोकिलचंद धाम मंदिर ट्रस्ट, गंगरा के सचिव चुन-चुन कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि नेमान पर्व की शुरुआत बाबा कोकिलचंद के पिण्डस्वरूप की पूजा से होती है। इसके बाद नए धान की फसल, गुड़, दूध, दही, घी और मधु से भोग अर्पित किया जाता है। सात पीढ़ियों के पूर्वजों को तर्पण कर उन्हें याद करने की परंपरा भी इसी दिन निभाई जाती है। गंगरा गांव में यह मान्यता है कि नवान्न पूजा के बाद ही नए धान के अन्न को घरों में उपयोग में लाया जाता है। शाम होते ही बाबा कोकिलचंद धाम के मंडप में विशेष पूजा और बामर पूजा का आयोजन किया जाता है। बाबा कोकिलचंद के त्रिसूत्र अन्न की रक्षा, नारी का सम्मान और शराब से दूरी को यहां के लोग सामाजिक जीवन का आधार मानते हैं। ग्रामीणों का विश्वास है कि आने वाले समय में यही तीन सूत्र सामाजिक जागृति और परिवर्तन के मजबूत स्तंभ बन सकते हैं। बाबा कोकिलचंद धाम मंदिर बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड से निबंधित है। नेमान पर्व के अवसर पर गंगरा के साथ-साथ आसपास के कई गांवों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। नवान्न पूजा के बाद पूरे गांव में बामर पूजा की परंपरा शुरू होती है, जो आषाढ़ माह में आयोजित होने वाली आखरी पूजा तक जारी रहती है। ऐतिहासिक प्रमाण बताते हैं कि गिद्धौर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह द्वारा स्थापित बाबा कोकिलचंद का पिंड आज भी सर्वमनोकामना पूर्ति का प्रतीक माना जाता है। वर्तमान में बाबा कोकिलचंद विचार मंच ट्रस्ट द्वारा मंदिर का भव्य निर्माण कार्य जारी है। समय-समय पर धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन भी यहां होता रहता है। स्थानीय लोग इसे धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग लगातार कर रहे हैं।

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