जदयू की अंतिम सूची जारी — मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या कम, विपक्ष ने उठाए सवाल।
पटना

मुख्य प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा — “नीतीश कुमार के रहते मुसलमानों को डरने की ज़रूरत नहीं”
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए गठबंधन ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। इसी क्रम में जनता दल (यूनाइटेड) ने भी आज अपनी अंतिम सूची जारी कर दी। हालांकि, इस बार की लिस्ट में मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या अपेक्षाकृत कम देखी जा रही है, जिसे लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। बताते चलें कि कल तक जारी की गई आंशिक सूची में किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार का नाम शामिल नहीं था, जबकि आज जारी अंतिम सूची में चार मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। इसके बावजूद, 2020 के विधानसभा चुनाव की तुलना में यह संख्या कम बताई जा रही है। इस पर पूछे गए सवाल के जवाब में जदयू के मुख्य प्रवक्ता राजीव रंजन ने स्पष्ट किया कि इस बार एनडीए के सीट बंटवारे में जदयू को केवल 101 सीटें मिली हैं। उन्होंने कहा “पिछले चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी (लोजपा) गठबंधन में नहीं थी, लेकिन इस बार है। ऐसे में जब कुल सीटें कम होंगी तो उम्मीदवारों की संख्या का अनुपात भी बदलेगा। यह स्वाभाविक है।” राजीव रंजन ने कहा कि नीतीश कुमार के रहते मुस्लिम समुदाय को किसी प्रकार की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। “नीतीश कुमार ने हमेशा सभी वर्गों को न्याय के साथ विकास दिया है। शिक्षा, रोजगार और सामाजिक न्याय के मोर्चे पर मुसलमानों को बराबर प्रतिनिधित्व और अवसर मिले हैं — चाहे वह विधान परिषद हो, राज्यसभा हो या अन्य मंच,” उन्होंने कहा। विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए जदयू प्रवक्ता ने कहा कि राजद सिर्फ मुसलमानों के नाम पर राजनीति करती है, लेकिन वास्तव में उन्हें आगे बढ़ाने की इच्छाशक्ति नहीं रखती। “वे एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण की बात करते हैं — 18 प्रतिशत मुसलमान हैं और 14 प्रतिशत यादव। अगर उन्हें सच में हमदर्दी है, तो फिर वे किसी मुस्लिम नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा क्यों नहीं बनाते?” राजीव रंजन ने सवाल उठाया।




