
बरहरवा – मजदूरों की हक की लड़ाई लड़ने वाले और सीपीआईएम के कर्मठ नेता इकबाल साहब का निधन हो गया।वे एक महान विद्वान भी थे जिसकी कमी निःसंदेह कभी पूरी नहीं हो सकती। समाज के लिए उनका योगदान अविस्मरणीय रहा। उन्होंने विशेषकर किसानों और मजदूरों की आवाज़ बनकर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े संघर्ष लड़े; निडर होकर अपने ठोस ज्ञान और दूरदर्शिता
से अनेक महत्वपूर्ण कार्य भी किए जो हमेशा स्मरणीय रहेंगे।इक़बाल साहब केवल एक नाम नहीं थे, वे एक क्रांति थे। पिछले चालीस वर्षों से अधिक सीपीआई(एम) के दामन को थामे रहे। वे एक ऐसे नेता थे जिन पर भ्रष्टाचार, कमीशन या ठगी का कभी आंच नहीं आई। उन्होंने जाति-धर्म और पार्टी हितों से ऊपर उठकर समाज के लोगों के लिए काम किया। 1995 और 1999 की आपदाएं (बाढ़) को कौन भूल सकता है जब उस कठिन समय में उन्होंने (रिलीफ कमिटी)का गठन कर (नेशनल थर्मल पावर ऑफ कॉरपोरेशन)से सहायता लेकर पूरे क्षेत्र को आशा दी — वे उस समिति के अध्यक्ष भी थे।आज भी उनसे जुड़ी कई संस्थाएं जैसे (गैंगमैन यूनियन) याद आएंगी जिनके वे अध्यक्ष भी रहे।इकबाल साहब बीड़ी श्रमिकों के अध्यक्ष और ऑल इंडिया बीड़ी श्रमिकों के सदस्य भी रहे। इलाके मे मउजूद आलिया मदरसा के लिए लड़ने वालों में उनका नाम सबसे आगे आता था। शेरशाहबादी की लड़ाई को शुरू से अब तक जारी रखने वाले और उसका इतिहास बताने वाले वही अकेले (कामरेड) थे।चाहे प्रखंड स्तर हो, जिला स्तर हो या राज्य स्तर,हर बार गरीब मजदूरों की आवाज को किसी ने भी उठाई तो वे उसके लिए आगे खड़े हो गए।




