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जमुई स्थित मातृत्व सेवा सदन में पर्यावरण भारती की ओर से विशेष पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन।

जमुई

जमुई- राष्ट्रीय वन्य जीव दिवस के अवसर पर गुरुवार को जमुई स्थित मातृत्व सेवा सदन में पर्यावरण भारती की ओर से विशेष पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान कल्पवृक्ष सहित बाँस, आंवला, आम और जामुन के कुल 10 पौधे लगाए गए। कार्यक्रम का नेतृत्व जमुई नगर की ख्यातिप्राप्त स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं पर्यावरण नारी शक्ति प्रांत टोली सदस्या डॉ. शालिनी सिंह ने किया। पौधारोपण कार्यक्रम की शुरुआत स्त्री रोग

विशेषज्ञ डॉ. वीणा सिंह ने विधिवत रूप से की। उन्होंने पवित्रता और परंपरा का निर्वाह करते हुए कल्पवृक्ष की आरती उतारकर पौधारोपण अभियान का शुभारंभ किया। इस अवसर पर पर्यावरण भारती के संस्थापक एवं पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक, साथ ही अखिल भारतीय पेड़ उपक्रम टोली सदस्य राम बिलास शांडिल्य ने कल्पवृक्ष के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कल्पवृक्ष अत्यंत दुर्लभ वृक्ष है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इसके नीचे बैठकर जो भी इच्छा

की जाती थी, वह पूर्ण होती थी। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने घरों एवं आसपास ऐसे वृक्षों को अवश्य लगाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में बांस का विशेष महत्व है और इसे भी घरों के पास लगाना हितकारी होता है। रामबिलास शांडिल्य ने राष्ट्रीय वन्य जीव दिवस के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि इसकी शुरुआत वर्ष 1972 में “वन्य जीव संरक्षण अधिनियम” से हुई थी, वहीं 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की नींव रखी गई। इस दिवस का उद्देश्य जंगलों और वन्य जीवों की सुरक्षा करना तथा नागरिकों को इसके प्रति जागरूक बनाना है। उन्होंने

कहा कि अंधाधुंध वनों की कटाई के कारण पर्यावरण असंतुलन बढ़ा है, जिसके चलते वन्य जीव भोजन और पानी की तलाश में गांव और शहर की ओर बढ़ रहे हैं। यह स्थिति न केवल जानवरों के लिए बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रही है। उन्होंने बताया कि भारत में 1,300 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं, वहीं शेर, बाघ, हाथी, गैंडा और तेंदुए जैसे कई वन्य जीव भारतीय जंगलों का गौरव हैं। देशभर में 500 से अधिक वन्य जीव अभयारण्य इनके संरक्षण का कार्य कर रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने संकल्प दिलाया कि देशी वृक्ष जैसे पीपल, बरगद, गूलर, पाकड़, कल्पवृक्ष और बांस अवश्य लगाएं, क्योंकि इन्हीं वृक्षों से वन्य जीवों का संरक्षण और पर्यावरण का संतुलन संभव है। पौधारोपण अभियान में डॉ. वीणा सिंह, डॉ. शालिनी सिंह, रानी हेम्ब्रम, नेहा कुमारी, राम बिलास शांडिल्य, पवन कुमार और अजीत कुमार समेत कई लोग सक्रिय रूप से शामिल हुए और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

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