औरंगाबाद में मध्यस्थता निगरानी समिति की बैठक संपन्न, न्यायालयों में लंबित मामलों के शीघ्र निपटारे हेतु विशेष पहल।
औरंगाबाद

औरंगाबाद : परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश-सह अध्यक्ष, मध्यस्थता निगरानी एवं पर्यवेक्षी समिति न्यायमूर्ति अरुण कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में लोक अभियोजक पुष्कर अग्रवाल, सरकारी अधिवक्ता बिरजा प्रसाद सिंह, विधि संघ अध्यक्ष विजय पांडेय, अधिवक्ता
संघ अध्यक्ष संजय सिंह, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंकज पांडेय, प्रशिक्षित मध्यस्थ अरुण तिवारी एवं मध्यस्थता समन्वयक-सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव तान्या पटेल सहित कई सदस्य मौजूद रहे। बैठक में प्रधान न्यायाधीश अरुण कुमार ने कहा कि “मध्यस्थता आज समय की आवश्यकता है। यह न केवल समाज को स्वच्छ और सामंजस्यपूर्ण बनाती है, बल्कि परिवारों में सौहार्दपूर्ण वातावरण के निर्माण में भी सहायक सिद्ध होती है।” उन्होंने बताया कि माननीय
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर पूरे देश में 90 दिनों का विशेष मध्यस्थता अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत विवाह संबंधी विवाद, सड़क दुर्घटना मुआवज़ा दावे, घरेलू हिंसा, चेक बाउंस, वाणिज्यिक विवाद, उपभोक्ता मामले, बैंक ऋण वसूली, संपत्ति विभाजन, बेदखली तथा भूमि अधिग्रहण जैसे मामलों का प्राथमिकता से निपटारा किया जा रहा है। प्रधान न्यायाधीश ने अपील की कि तालुका और जिला न्यायालयों में लंबित मामलों को यथासंभव मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाया जाए, ताकि आम जनता को शीघ्र और किफ़ायती न्याय मिल सके। उनके अनुसार न्यायालय का बोझ भी इससे कम होगा और विवादों के निपटारे में समय की बचत होगी। इस अवसर पर मध्यस्थता समन्वयक-सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव तान्या पटेल ने बताया कि विशेष अभियान को सफल बनाने के लिए पारा विधिक स्वयं सेवकों (PLVs) की मदद से गाँव-गाँव एवं शहरी क्षेत्रों में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रयास के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं और बड़ी संख्या में लोग मध्यस्थता की प्रक्रिया को अपनाकर लाभान्वित हो रहे हैं। बैठक के अंत में उपस्थित सभी सदस्यों ने इस अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए सहयोग करने का आश्वासन दिया। न्यायिक अधिकारियों का मानना है कि यदि समाज में विवादों के समाधान की यह प्रक्रिया अधिक प्रचलित हो जाती है, तो न्यायालयों में लंबित मामलों का बोझ काफी हद तक घट जाएगा और “न्याय सबके लिए, समय पर और सुलभ” का उद्देश्य साकार होगा।




