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हिंदी दिवस पर स्थानीय व्यवहार न्यायालय के जीपी प्रभात कुमार भगत के आवास पर हिंदी की महत्ता और संवैधानिक स्थिति पर परिचर्चा आयोजित।

जमुई

जमुई- हिंदी दिवस पर स्थानीय व्यवहार न्यायालय के जीपी प्रभात कुमार भगत के आवास पर आयोजित परिचर्चा में वक्ताओं ने हिंदी की महत्ता और संवैधानिक स्थिति पर विचार रखे। केकेएम कॉलेज के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. गौरी शंकर पासवान ने कहा कि हिंदी भारत की अस्मिता और राष्ट्रीय एकता की जीवंत प्रतीक है। संविधान के अनुच्छेद 343 (1) में इसे राजभाषा का दर्जा प्राप्त है, इसलिए इसका अपमान किसी भी रूप में अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में हिंदी

संघर्ष और एकता की भाषा रही तथा आज यह कंप्यूटर, इंटरनेट, शिक्षा और व्यापार की वैश्विक भाषा बन रही है। प्रो. पासवान ने बताया कि 1950 में अंग्रेजी को 15 वर्षों के लिए सहायक राजभाषा बनाया गया था, पर 78 वर्षों बाद भी इसे हटाने का साहस कोई सरकार नहीं जुटा सकी। बावजूद इसके हिंदी अपने दम पर वैश्विक मंच पर तेजी से उभर रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभात कुमार भगत ने सुझाव दिया कि भारत को द्विभाषिकता का मॉडल अपनाना चाहिए। हिंदी को प्राथमिकता देते हुए अंग्रेजी को केवल कौशल के रूप में पढ़ाया जाए। वरिष्ठ शिक्षक

दिनेश मंडल ने हिंदी को देश का गौरव और संस्कृत की बेटी बताया, जबकि अधिवक्ता रामचंद्र रवि ने कहा कि हिंदी में करोड़ों शब्द गढ़ने की क्षमता है और विश्व में इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि हिंदी के प्रसार और सम्मान के बिना भारत की प्रगति अधूरी है।

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