नेचर विलेज मटिया’ की अनोखी पहल गाँव की धरती से आत्मनिर्भर भारत की ओर सशक्त कदम।
जमुई

जमुई – कभी उपेक्षा, पलायन और बेरोजगारी का प्रतीक रहा जमुई जिले का मटिया गांव अब पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा बन गया है। ‘नेचर विलेज मटिया’ की अनोखी पहल ने यह साबित कर दिया है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो ग्रामीण परिवेश में रहकर भी सम्मानजनक, स्वावलंबी और प्रकृति-संगत जीवन जिया जा सकता है।
आज इस गांव की पहचान हर्बल गुलाल, शुद्ध मसालों, अगरबत्ती, मिठाई और बांस से बने आकर्षक उत्पादों की निर्माण इकाई से है, जो न केवल स्थानीय बाजारों में, बल्कि दूरदराज के क्षेत्रों तक अपनी पहचान बना चुके हैं। महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व में यह गांव आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुका है।
‘नेचर विलेज’ की परिकल्पना को धरातल पर उतारने वाले निर्भय प्रताप सिंह, पूर्व इंजीनियर और इस मिशन के संस्थापक, बताते हैं कि जब उन्होंने इसकी नींव रखी, तो केवल कुछ ही लोग साथ थे। आज यह संख्या 50 से अधिक है। महिलाएं स्वसहायता समूहों के माध्यम से प्रतिमाह हजारों की कमाई कर रही हैं और अपनी मेहनत से न केवल आत्मनिर्भर बन चुकी हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बनी हैं।
हर सुबह गांववासी सामूहिक योग और ध्यान करते हैं, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। महिलाएं, बुजुर्ग और युवा, सभी इस अभ्यास में उत्साह से भाग लेते हैं। यहां के किसान अब रासायनिक खादों से दूर होकर जैविक खेती कर रहे हैं। हर्बल कीटनाशकों और देसी खाद के उपयोग से फसलें न केवल गुणवत्तापूर्ण हो रही हैं, बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रह रहा है।
गांव में स्थापित कौशल विकास केंद्र में युवाओं को सिलाई, कंप्यूटर, बांस शिल्प, डेयरी और कचरा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे स्वरोजगार के नए द्वार खुले हैं और पलायन में भी उल्लेखनीय कमी आई है। मटिया गांव को इको-टूरिज्म स्पॉट के रूप में विकसित किया जा रहा है। झोपड़ियां, जैविक खेत, औषधीय पौधे, पारंपरिक भोजन और ग्रामीण जीवनशैली को दर्शाने वाली संरचनाएं पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं।
पिछले एक वर्ष में दिल्ली, पटना, रांची जैसे शहरों से 200 से अधिक लोग यहां भ्रमण के लिए आ चुके हैं। नेचर विलेज में महिलाएं न केवल उत्पाद निर्माण में आगे हैं, बल्कि गांव की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुकी हैं। 40 से अधिक महिलाएं हर्बल गुलाल, मसाले, मिठाई व अगरबत्ती जैसे उत्पादों के माध्यम से स्वरोजगार प्राप्त कर रही हैं। दूसरी ओर, कौशल विकास केंद्र से प्रशिक्षित 100 से अधिक युवाओं ने या तो अपना व्यवसाय शुरू किया है या फिर अन्य शहरों में नौकरी पा ली है। गांव की सामाजिक एकता बढ़ी है और बुजुर्गों की सलाह से गांव का प्रशासनिक स्वरूप भी मजबूत हुआ है। नेचर विलेज के संस्थापक निर्भय प्रताप सिंह का मानना है कि गांव अब सिर्फ सरकारी योजनाओं के मोहताज नहीं हैं। सही दिशा, सामूहिक प्रयास और प्रकृति संग जुड़ाव से आत्मनिर्भरता संभव है। उन्होंने देशभर के मॉडल गांवों से प्रेरणा लेकर मटिया को एक जागरूक, आत्मनिर्भर और संभावनाओं से भरे गांव में तब्दील कर दिया है। ‘नेचर विलेज’ अब केवल मटिया तक सीमित नहीं है, यह एक आंदोलन बन चुका है। भारत के ग्रामीण समाज को सशक्त, स्वावलंबी और पर्यावरणोन्मुख बनाने की दिशा में एक ठोस प्रयास। यह वह जगह है जहां महिलाएं नेतृत्व करती हैं, युवा अपने भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं और पूरा गांव प्रकृति के साथ कदमताल करते हुए नई दिशा की ओर अग्रसर है। यह पहल आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में जमुई की अमूल्य देन है।





