प्रशांत किशोर मांगते रहे मुख्यमंत्री राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष से समय पर नहीं मिला।
पुलिस और जन सुराज के कार्यकर्ताओं में झड़प।

पी के ने कहा एक लाख आदमी आकर घेर लेंगे तो इनलोगों का निकलना मुश्किल हो जाएगा।
पटना – बुधवार को प्रशांत किशोर अपने लोगों के साथ पटना की सड़कों से होते हुए मुख्यमंत्री से मुलाकात करने को लेकर जैसे ही पटना के चितकोहरा गोलंबर पहुंचे उन्हें प्रशासन का सामना करना पड़ गया। इसको लेकर पुलिस और कार्यकर्ताओं में झड़प भी हुई।
लोगो ने मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। वही इसको लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा पर नहीं मिला, राज्यपाल से मिलने का समय मांगा पर नहीं दिया गया, विधानसभा अध्यक्ष से समय मांगा गया उन्होंने भी नहीं दिया।
वही आई टी ओ से विधानसभा तक शांतिपूर्ण मार्च करने को लेकर भी प्रशासन के द्वारा मना कर दिया गया। प्रशासन ने कहा गर्दनीबाग जाइए हमलोग अब गर्दनीबाग जा रहे हैं। मैने राज्यपाल से एक बार नहीं तीन बार समय मांगा गया, राज्यपाल ने एक बार समय दिया और उसको कैंसिल किया, अब वह कह रहे हैं कि हमारे प्रिंसिपल सेक्रेटरी से मिल लीजिए।
राज्यपाल नहीं मिलेंगे मुख्यमंत्री नहीं मिलेंगे तो हमलोग क्या करे। एक करोड़ लोगों ने सिग्नेचर किया है हमलोग उस कागज को उन्हें शांति पूर्वक देना चाहते हैं पर नहीं मिलना चाह रहे हैं। अगर हमलोगों से नहीं मिलना चाहते हैं तो हम लोग उनके दरवाजे तक जाना पसंद करेंगे। उन्होंने 94 लाख लोगों को दो-दो लाख रुपया देंगे यह वादा किया था अब तक नहीं मिला अब वह यह जल्दी दे दे अन्यथा लोगों से माफी मांगे।

वही प्रशांत किशोर ने कहा कि एक लाख आदमी आकर घेर लेंगे तो इनलोगों का निकालना मुश्किल हो जाएगा। इन्होंने कहा चाहे जो हो इनसे विधानसभा में जाकर मिलेंगे और अगर वहां नहीं मिले तो घर में जाकर मिलेंगे। पत्रकारों को कहा कि देखते जाइए कौन-कौन सा रंग बदलता है अभी तो शुरुआत है। हमलोग पहले दिन इसका विरोध कर कह रहे हैं कि यह सत्तारूढ़ दल बीजेपी और एन डी ए के लोग इलेक्शन कमिशन की मदद से समाज के उन लोगों का जो सत्ता रूढ़ दल के विरोध में है, जो प्रवासी मजदूर है, जो गरीब लोग है, जो व्यवस्था से नाखुश है और सरकार के खिलाफ वोट देना चाहते हैं उसका नाम इलेक्शन कमीशन अपने रोल से हटाने के लिए यह सत्ता रूढ़ दल मिलकर प्रयास किया है। हमारा ऐसा मानना कि बिहार में लोकतंत्र के जड़ काफी मजबूत है जनता जागरूक है हर व्यक्ति को अपने अधिकार के लिए खड़ा होना चाहिए। इलेक्शन कमिशन का यह अधिकार क्षेत्र नहीं है कि वह किसी की नागरिकता तय करें। सुप्रीम कोर्ट का रूलिंग बिल्कुल क्लियर है इलेक्शन कमिशन का यह अधिकार नहीं कि वह किसी की नागरिकता को तय करे तो अगर इलेक्शन कमिशन आपका नाम काट रहा है तो आप उसके लिए खड़ा होइए। अगर आप अपनी मदद के लिए किसी से सहयोग लेना चाहते हैं तो आप किसी राजनीतिक दल से जिससे आपका सरोकार हो चाहे वह कोई दल हो सरोकार लीजिए और अपना नाम जुड़वाए। हर हालत में आपको अपने मत का प्रयोग करना होगा। अब सरकार चाहे जितना जुगत लगा ले नवंबर में नीतीश सरकार का यानी एन डी ए की सरकार को जाने से कोई नहीं रोक सकता है।





